2025 के सितंबर माह में भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को 114 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव दिया है, जिसे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में निर्मित किया जाएगा। इस प्रस्ताव की अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है, जो देश का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा।
डील की मुख्य बातें:
– यह सौदा फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के सहयोग से होगा।
– इन विमानों में 60 प्रतिशत से अधिक सामग्री भारत में निर्मित होगी, जिससे देश की औद्योगिक क्षमता को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
– प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के तहत विभिन्न विभागों की समीक्षा में है, इसके बाद रक्षा खरीद बोर्ड और रक्षा अधिग्रहण परिषद को भेजा जाएगा।
भारतीय वायुसेना की ताकत में वृद्धि:
वर्तमान में वायु सेना के पास 36 राफेल विमान हैं, साथ ही नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन फाइटर जेट का भी ऑर्डर दिया जा चुका है। इस नए डील के बाद भारत के राफेल बेड़े की संख्या 176 तक पहुंच जाएगी, जिससे भारत की हवाई शक्ति का स्तर बेहद मजबूती से बढ़ेगा।
मेक इन इंडिया का बड़ा कदम:
यह डील केवल विमानों की खरीद नहीं, बल्कि देश की रक्षा उत्पादन क्षमता का विकास है। हैदराबाद में MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल) सेंटर स्थापित होगा, जहां डसॉल्ट एविएशन भारतीय विमानों के इंजन और हिस्सों का रख-रखाव करेगी।
ऑपरेशन सिंदूर में राफेल का प्रदर्शन:
राफेल विमानों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की PL-15 मिसाइलों पर तकनीकी बढ़त दिखाई थी, जिससे विमान की लड़ाकू क्षमता की खास पहचान बनी है। नई खरीद में इन्हें स्कैल्प जैसा लंबी दूरी तक मार करने वाला हथियार भी मिलेगा।
भविष्य की योजना:
भारतीय वायुसेना अपनी फाइटर फ्लीट को सुखोई-30MKI, राफेल और तेजस के आधार पर मजबूत कर रही है। 2035 के बाद पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान भी शामिल होंगे।
इस डील से भारत न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में भी एक बड़ा कदम उठाएगा।
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