राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने देश भर में 5.2 मिलियन पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण और 90 मिलियन फोलियो का संरक्षण किया
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने 2003 में अपनी स्थापना से लेकर सितंबर 2023 तक देश भर में 5.2 मिलियन पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण, 90 मिलियन फोलियो का संरक्षण और 3.30 करोड़ पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया है। यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी.किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में दी। इसके अलावा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने अपने क्लाउड प्लेटफॉर्म पर 1,25,000 पांडुलिपियों को अपलोड किया है, जिनमें से 75,000 पांडुलिपियां सार्वजनिक डोमेन पर शोध उद्देश्यों के लिए उपलब्ध हैं।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के उद्देश्य हैं:-
- राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण और सर्वेक्षण के बाद पांडुलिपियों का पता लगाना
- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के लिए प्रत्येक पांडुलिपि और पांडुलिपि भंडार का दस्तावेजीकरण करना। इनमें वर्तमान में चार मिलियन पांडुलिपियों की जानकारी शामिल है, यह विशेषता इसे विश्व में भारतीय पांडुलिपियों का सबसे बड़ा डेटाबेस बनाती है।
- संरक्षण के आधुनिक और स्वदेशी दोनों तरीकों को शामिल करते हुए पांडुलिपियों का संरक्षण और पांडुलिपि संरक्षकों की नई पीढ़ी को प्रशिक्षित करना।
- अगली पीढ़ी के विद्वानों को पांडुलिपि अध्ययन के विभिन्न पहलुओं जैसे भाषाओं, लिपियों और महत्वपूर्ण संपादन तथा ग्रंथों का सूचीकरण और पांडुलिपियों के संरक्षण में प्रशिक्षित करना।
- दुर्लभतम और सर्वाधिक लुप्तप्राय पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण करके पांडुलिपियों तक पहुंच को बढ़ावा देना
- अप्रकाशित पांडुलिपियों और कैटलॉग के महत्वपूर्ण संस्करणों के प्रकाशन के माध्यम से पांडुलिपियों तक पहुंच को बढ़ावा देना।
- व्याख्यान, सेमिनार, प्रकाशन और अन्य आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से पांडुलिपियों के साथ जनता की भागीदारी को सुविधाजनक बनाना।
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