May 3, 2024 |

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शहीदों की चिताओं पर

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जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’

प्रिय पाठकों! द डिवाइन यूथ पोर्टल में आपका स्वागत है ! आज हम देश की युवा शक्ति उन शहीदों का स्मरण कर रहें हैं जिन्होंने देश के प्रति अपने कर्तव्यों का यथासमय एवं  यथाशक्ति निर्वहन किया एवं धर्म संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी! आइये पढ़ते हैं श्री जगदम्बा प्रसाद मिश्र हितैषी जी की ये कविता और करते हैं नमन अपने शहीदों का!
साथ रहिएगा!

उरूजे कामयाबी पर कभी हिंदोस्ताँ होगा।

रिहा सैयाद के हाथों से अपना आशियाँ होगा॥

चखाएँगे मज़ा बर्बादी-ए-गुलशन का गुलचीं को।

बहार जाएगी उस दम जब अपना बाग़बाँ होगा।

ये आए दिन की छेड़ अच्छी नहीं ख़ंजर-ए-क़ातिल।

पता कब फ़ैसला उनके हमारे दरमियाँ होगा॥

जुदा मत हो मेरे पहलू से दर्दे वतन हरगिज़।

जाने बाद मुर्दन मैं कहाँ तू कहाँ होगा॥

वतन के आबरू का पास देखें कौन करता है।

सुना है आज मक़तल में हमारा इम्तहाँ होगा॥

शहीदों की चिताओं पर जुड़ेंगे हर बरस मेले।

वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा॥

कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे।

जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा॥

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